#54 Passive income idea – By Team X  

क्या आप अपने भविष्य में आने वाली परिस्थिति, आवश्यकताओं के बारे में विचार करते हैं या चिंतित रहते हैं? ऐसे में आपको आय उत्पन्न करने का कुछ ऐसा तरीका अपनाने की आवश्यकता है, जहां आपको नियमित रुप से काम किए बग़ैर आय होती रहे और आप स्वतंत्र होकर अपने जीवन का आनंद से सकें या अपने सपनों को हकीकत में पूरा कर सकें ।

इस पैसिव इनकम सीरीज में आप जानेंगे टीम एक्स द्वारा पैसा कमाने के कुछ अद्भूत पैसिव आइडिया, जिन पर काम करके आप पैसिव इनकम उत्पन्न करके अपने जीवन को एक सही दिशा में ला सकते हैं, चलिए जानते हैं आसान शब्दों में

Passive income idea

आज का अद्भुत पैसिव इनकम आइडिया है – बॉन्ड ख़रीदना (बॉन्ड परचेसिंग), जो आपके लिए निवेश करने का एक बड़ा प्रभावी विकल्प हो सकता है, यदि आप शेयर मार्केट में अपना काफ़ी पैसा गवा चुके हैं तो यह आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकता हैं क्योंकि यहां आपको अच्छा लाभ मिलता है और जोख़िम की संभावना कम रहती है ।

बॉन्ड, एक ऋण (लॉन) लेने का एक उपकरण (इंस्ट्रूमेंट) है, जिससे कोई कम्पनियों या सरकार पब्लिक से ऋण लेती है, पब्लिक को लॉन देने पर ब्याज मिलता है । हर बॉन्ड एक निश्चित समय अवधि के लिए होता है, प्रति माह, तिमाही, छमाही या वार्षिक रूप से बॉन्ड पर ब्याज दिया जा सकता है जो उस निश्चित समय तक मिलता रहता है और यह अवधि समाप्त होने के बाद लॉन की रकम वापस मिल जाती है ।

बॉन्ड में मिलने वाले इस ब्याज को “कूपन रेट” और निश्चित समय अवधि को “मैच्योरिटी पीरियड” कहा जाता है । आइए समझते हैं यह कैसे काम करता है?

बॉन्ड कैसे काम करता है?

बॉन्ड को समझने के लिए हम इसे चार चरणों में बांट सकते है –

1 चरण – जब किसी सरकार या कंपनी को पैसों की आवश्यकता होती है, तो वे बॉन्ड जारी करते हैं । यह बॉन्ड एक कागज या डिजिटल प्रमाणपत्र के रूप में हो सकता है, जिसमें आवश्यक जानकारी लिखी होती जैसे ऋण की कितनी रकम, और आपको कब और कितना ब्याज मिलेगा ।

2 चरण – जब आप कोई बॉन्ड खरीद सकते हैं, बॉन्ड का मूल्य तय होता है जिसे “फेस वैल्यू” कहा जाता हैं, यह भी तय होता है कि आपको कितने समय के पश्चात् पैसा वापस मिलेगा और कितना ब्याज मिलेगा ।

3 चरण – बॉन्ड के साथ एक निश्चित ब्याज दर जुड़ी होती है, जिसे “कूपन रेट” कहा जाता है, जो आपको सालाना या छमाही (छह महीने) के आधार पर मिलता है ।

4 चरण – बॉन्ड की अवधि (मैच्योरिटी पीरियड) पूरा होने पर आपको आपका पूरा पैसा (फेस वैल्यू) ब्याज के साथ लौटा दिया जाता है ।

उदाहरण से समझें – यदि आप सरकार से 10 लाख का बॉन्ड खरीदते हैं जिसका मैच्योरिटी पीरियड 7 साल और कूपन रेट 6% तिमाही है, अर्थात् आपने सरकार को 10 लाख का लॉन दिया है इस पर आपको 7 साल तक प्रतिवर्ष 60 हज़ार का ब्याज मिलेगा जो हर तीन महीने में 15 हज़ार के रूप में प्राप्त होंगे और 7 साल बाद 10 लाख वापस मिल जाएंगे ।  

बॉन्ड कैसे खरीदें? या Bond में कैgसे निवेश करें?

बॉन्ड में निवेश करना एक सरल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर्स और बातों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है, चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इसका प्रॉसेस स्टेप बाय स्टेप –

Step 1

सबसे पहले आपको बॉन्ड के प्रकार समझने होंगे, यह आप चार मुख्य बॉन्ड के बारे में जानेंगे – सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, ट्रैज़री बॉन्ड, म्युनिसिपल बॉन्ड ।

सरकारी बॉन्ड, केंद्र या राज्य सरकार जारी करती है ये बॉन्ड निवेश के लिए अधिक सुरक्षित माने जाते हैं । कॉर्पोरेट बॉन्ड, बड़ी कंपनियां या उद्यमी पूंजी जुटाने के लिए जारी करते हैं इसमें कूपन रेट अधिक होता है लेकिन थोड़ा रिस्क भी हो सकता है ।

ट्रैज़री बॉन्ड, अमेरिकी ट्रेजरी द्वारा ज़ारी करती है जो लम्बे समय के लिए निवेश होते हैं और म्युनिसिपल बॉन्ड, राज्य और स्थानीय सरकारों जारी करती है जो आमतौर पर टैक्स-फ्री होते हैं ।

Step 2

बॉन्ड में निवेश करने के लिए आपको अपने लक्ष्य तय करने होंगे जैसे बॉन्ड में निवेश करके आप रिटर्न में कितना ब्याज चाहते हैं, रिस्क के साथ निवेश करना चाहते हैं या सुरक्षित करना चाहते हैं और कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं कुछ महीने या कई वर्षों के लिए ? आदि महत्त्वपूर्ण कारकों पर रिसर्च करें ।

Step 3

बॉन्ड खरीदने के लिए आपके पास तीन विकल्प हैं, पहला विकल्प – किसी ब्रोकर के जरिए आप बॉन्ड खरीद सकते हैं जो आपकी निवेश क्षमता के मुताबिक़ कई प्रकार के बॉन्ड तलाश करेगा और बॉन्ड ख़रीदने में सहायता करेगा ।

ब्रोकर फाइनेंशियल एक्सपर्ट होते हैं जिनके पास मार्केट की जानकारी और निवेश के बारे में गहरी समझ होती है, ऑफलाइन या ऑनलाइन किसी अच्छे ब्रोकर को चुन सकते हैं जो अच्छी सर्विस प्रदान करते हों और अन्य निवेशक भी उन पर भरोसा करते हों । इसके लिए आप ब्रोकरेज वेबसाइट्स, फाइनेंशियल न्यूज और मैगजीन तथा “Best brokers for bonds in India” गूगल सर्च की मदद ले सकते हैं ।

दूसरा विकल्प – ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म के माध्यम से, इंटरनेट पर आपको ऐसे कई प्लेटफ़ॉर्म मिल जाएंगे जहां आप बहुत से बॉन्ड की तुलना करके किसी अच्छे बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं, इसके लिए आपको किसी ब्रोकर की आवश्यकता नहीं होगी, ख़ुद से निवेश कर सकते हैं । जैसे Zerodha (Coin), Groww, ICICI Direct, Kuvera आदि।

तीसरा विकल्प – यदि आपको सरकारी बॉन्ड खरीदने में दिलचस्पी है तो आप सरकारी पोर्टल्स, बैंकों के माध्यम से, ETF और म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से या ब्रोकर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके सरकारी बॉन्ड खरीद सकते हैं जैसे “RBI Retail Direct”, HDFC Securities, ICICI Direct आदि ।

Step 4

Research – किसी भी बॉन्ड को खरीदने से पहले आपको उसके बारे में सभी आवश्यक नियम और शर्तें जानना बहुत महत्त्वपूर्ण है इसलिए पहले पता करें कि बॉन्ड जारी कब हुआ है, कब पूरा होगा और सालाना ब्याज कितना, कैसे मिलेगा अर्थात् पॉलिसी डेट क्या है?, मैच्योरिटी डेट क्या है? और कूपन रेट कितना है?

साथ ही रिस्क की जांच अवश्य करें, कूपन रेट रिस्क या क्रेडिट रिस्क तो नहीं है, अगर मार्केट में कूपन रेट बदलेगा तो आपके बॉन्ड की कीमत पर असर पड़ेगा, यह शेयर मार्केट का उल्टा है कूपन रेट बढ़ने पर बॉन्ड के प्राइस घट जाएंगे और कूपन रेट घटने पर बॉन्ड के प्राइस बढ़ जाएंगे, इसे कूपन रेट रिस्क कहते हैं l

अगर बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी या उद्यमी की वित्तीय स्थिति खराब हो जाती है, इससे आपके बॉन्ड में किए गए निवेश पर असर पड़ सकता है, यह क्रेडिट रिस्क होता है ।

अच्छी तरह रिसर्च करने के पश्चात् आप कुछ अच्छे बॉन्ड में किसी ब्रोकर या ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से निवेश कर सकते हैं । इसके के बाद, आपको एक बॉन्ड सर्टिफिकेट या डिजिटल रिकॉर्ड प्राप्त होगा यह आपके निवेश का प्रमाण है ।

Last Step

इस तरह उपरोक्त स्टेप को फॉलो करके बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है लेकिन इसके साथ में आपको मार्केट की परिस्थितियों के अनुसार अपने बॉन्ड निवेश की निगरानी करते रहने की जरुरत होगी । जब बॉन्ड की अवधि पूरी हो जाएंगी तो आपको अपना निवेश और ब्याज वापस मिल जाएगा जिसे आप दुबारा से निवेश कर सकते हैं ।

Note : बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लग सकता है इसलिए इस संबंध में टैक्स नियमों को समझना आपके बहुत आवश्यक है ।

Challenges & Risk

#1. अगर आप ज्यादा प्रॉफिट कमाना चाहते हैं तो बॉन्ड में निवेश करना आपके लिए उचित नहीं होगा क्योंकि यहां आपको स्टॉक्स के मुकाबले में कम रिटर्न प्राप्त होगा ।
#2. मार्केट में इंट्रेस्ट रेट बढ़ने पर आपके बॉन्ड का प्राइस गिर जाता है, ऐसे में बॉन्ड को बाजार में बेचने पर नुकसान हो सकता है।
#3. स्टॉक्स की तरह आप बॉन्ड को आसानी से सेल नहीं कर सकते, यदि आपको जल्दी पैसों की जरूरत पड़ती है तो बॉन्ड को सेल करने में कठिनाई होगी और मार्केट प्राइस से कम पैसा मिल सकता जिसमें आपका लॉस होगा ।
#4. किसी बॉन्ड की शर्तें और उनकी संरचना समझना एक बड़ी चुनौती हो सकती हैं, खासकर अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं । कुछ बॉन्ड्स के साथ अलग-अलग फीचर्स होते हैं, जैसे कॉल ऑप्शन, जिन्हें समझने में कठिनाई हो सकती हैं ।
#5. बॉन्ड में निवेश करने के लिए आपको मार्केट की नॉलेज होनी चाहिए ताकि आप यह समझ सकें कौन सा बॉन्ड आपके लिए अच्छा है और किस समय इसमें निवेश करना फायदेमंद होगा ।
#6. कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना रिस्की हो सकता है क्योंकि अगर किसी कंपनी की वित्तिय स्थिती ख़राब होती है या कंपनी दिवालिया हो जाती है ऐसे में आपका पैसा डूब सकता है ।
#7. महंगाई बढ़ने पर आपके बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज वास्तविक रूप से कम हो सकता है क्योंकि वस्तुएं महंगी हो जाती हैं और आपका ब्याज वैसा ही रहता है ।

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महत्त्वपूर्ण शब्द

अगर आप कुछ एक्स्ट्रा पूंजी है जिसे आप हाल ही में उपयोग नहीं कर रहे या कुछ समय बाद उपयोग में लाने वाले हैं, ऐसे में आपके लिए बॉन्ड में निवेश करना एक बेहतर विकल्प है जहां आपका निवेश सुरक्षित रहेगा और प्रतिवर्ष ब्याज प्राप्त करके पैसिव इनकम अर्जित कर सकते हैं ।

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