#11 Passive income idea – By Team X

हर इंसान मेहनत कर रहा है और नए नए तरीक़े ख़ोज रहा है जिससे वह एक ऐसा इनकम स्रोत बना सके जिससे वह घर बैठे आसानी से पैसे कमा सकें, कम मेहनत में अधिक पैसे कमा सके बल्कि पैसिव इनकम बना सके ।

हैलो दोस्तों स्वागत है आपका earningX की पैसिव इनकम सीरीज की 11th पोस्ट में, जहां आप जानेंगे पैसिव इनकम का एक जबरदस्त तरीका तो चलिए जानते हैं ।

यह तरीका होगा – सॉफ़्टवेयर बनाना और बेचना, यह एक विस्तृत प्रक्रिया है, जिसमें क्या बनाना है और कैसे बनाना है, मार्किट रिसर्च, सोफ्टवेयर टेस्टिंग, मार्केटिंग, बेचना और कस्टमर सपोर्ट आदि काम करने होगें । लेकिन दोस्तों यदि आप इन सभी प्रक्रियाओं को सफ़लता पूर्वक कर पाते हैं तो आप सच में सोते सोते पैसे कमाएंगे ।

सॉफ़्टवेयर इंस्ट्रक्शंस और डेटा का एक कलेक्शन होता है जो कंप्यूटर को किसी विशेष कार्य करने के लिए कहता है । यह कंप्यूटर सिस्टम का नॉन फिजिकल पार्ट होता है है, जबकि हार्डवेयर कंप्यूटर के फिजिकल पार्ट को संदर्भित करता है, सॉफ़्टवेयर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं ।

  1. सिस्टम सॉफ़्टवेयर : ऑपरेटिंग सिस्टम (जैसे Windows, macOS, Linux) और यूटिलिटी प्रोग्राम सिस्टम सोफ्टवेयर कहलाते हैं जो कंप्यूटर के मुख्य फंक्शंस को मैनेज और सपोर्ट करते हैं ।
  2. एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर : ये प्रोग्राम यूजर्स के लिए विशिष्ट कार्य करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं, जैसे Microsoft Word, Google Chrome और गेम्स ।

सॉफ़्टवेयर, कोडिंग लैंग्वेजेस का इस्तेमाल करके बनाएं जाते हैं और यह सिंपल एप्लीकेशंस से लेकर बड़े पैमाने पर प्रोसीजर को मैनेज करने वाले जटिल सिस्टम तक होते हैं । चलिए अब जानते हैं कि हम एक सॉफ्टवेयर कैसे बना सकते हैं या बनवा सकतें हैं ।

सोफ्टवेयर बनाने से पहले यह जानना और तय करना जरुरी है कि किस प्रकार का सॉफ्टवेयर बनाना है और मुख्य रूप से किस काम के लिए बनाना है सॉफ़्टवेयर बनाने की प्रक्रिया को सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट कहते हैं, जिसमें हम जानेंगे कि एक सॉफ्टवेयर कैसे बनाते हैं ?

सबसे पहले यह तय करना होगा कि सॉफ्टवेयर विशेष रूप से किस डिवाइस के लिए बनाना है कंप्यूटर या स्मार्टफोन, इसके बाद हमारा सॉफ्टवेयर किस काम के लिए होगा अर्थात् हमारा सॉफ्टवेयर लोगों की किस समस्या का समाधान करेगा ।

पहला कदम किसी समस्या की पहचान करना है जिसे सॉफ़्टवेयर से हल किया जा सके या किसी आवश्यकता को पूरा किया जा सके । यह पर्सनल अनुभव, इंडस्ट्री रिसर्च या कस्टमर्स के रिएक्शंस से आ सकती है ।

#Suggestion मान लीजिए आपकों आइडिया आया कि आपकों एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाना है जो टीचर्स की एक कम्युनिटी को होल्ड करे अर्थात् उस प्लेटफॉर्म पर सभी टीचर्स एक दूसरे से जुड़ पाएं । अब यह सॉफ्टवेयर (एप्लीकेशन) मुख्य रुप से टीचर्स के लिए होगी जहां पर दुनियाभर से टीचर्स एक दूसरे से जुड़ पाएं और अपनी विचारधारा तथा अन्य चीजों को शेयर कर पाएं ।

इसके बाद यूजर्स और स्टेकहोल्डरों से जानकारी इकट्ठा की जाएगी ताकि यह समझा जा सके कि सॉफ़्टवेयर से क्या उम्मीदें हैं । अर्थात् हम अपने में किस प्रकार के ऑप्शंस एड करेगें जैसे पिक्चर अपलोड करना, वीडीयो अपलोड करना और यूज़र से उसकी क्या जानकारी प्राप्त करेगें आदि ।

अब हमें अपने सॉफ़्टवेयर की संरचना और UI (User Interface) डिजाइन की योजना बनानी है । इसमें सिस्टम आर्किटेक्चर और डाटाबेस डिजाइन शामिल होते हैं ।

अब कोडिंग लैंग्वेजेस का उपयोग करके सॉफ़्टवेयर के लिए कोड लिखा जाता है, यदि आप कोडिंग नहीं जानते हैं तो आप Ai का इस्तेमाल कर सकते हैं अन्यथा किसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर से संपर्क करें ।

कोडिंग के बाद सॉफ़्टवेयर तैयार हो जाता है अब इसे टेस्ट करना होगा कि सभी फंक्शंस सही काम कर रहे हैं या नहीं और यह हमारी एक्सपेक्टेशन के मुताबिक़ काम कर रहा है या नहीं और इसमें कोई बग (एरर) नहीं हैं ।

सॉफ्टवेयर को टेस्ट करने के बाद यूजर्स के लिए उपलब्ध कर सकते हैं, और अब इस सॉफ्टवेयर का रखरखाव जरुरी है अर्थात् इसमें किसी प्रकार का बग तो नहीं आ रहा है इसे फिक्स करने के लिए, अपडेट्स, और नए फीचर्स जोड़ने के लिए ।

एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट में बहुत ज्यादा मदद कर सकता है बस हमें इसे सही तरीक़े से और सही जगह पर इस्तेमाल करना होगा । आज के समय में एआई गेम चेंजर है जो काम सिर्फ़ सॉफ्टवेयर इंजीनियर का होता था आज उसे गैर सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी कर सकता है ।

एआई का उपयोग कोड लिखने में तेजी लाने के लिए किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, कोड असिस्टेंट्स का उपयोग करके ऑटोमेटेड कोड सुझाव प्राप्त किए जा सकते हैं । अर्थात् आपकों अपने सॉफ्टवेयर में लाइक, कॉमेंट और शेयर के बटंस एड करने हैं तो आप इसके लिए एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं ।

एआई टूल्स का उपयोग करके कोड में बग का पता लगाया जा सकता है और उन्हें ठीक भी किया जा सकता है । एआई के द्वारा टेस्ट केस जनरेशन और ऑटोमेटेड टेस्टिंग के लिए किया जा सकता है, जिससे सॉफ़्टवेयर की क्वालिटी बढ़ती है और टेस्टिंग की प्रक्रिया तेज होती है ।

एआई टूल्स प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में भी सहायता करते हैं, जैसे कि कार्य असाइनमेंट, प्रगति ट्रैकिंग, और टाइम मैनेजमेंट, एआई डेटा एनालिसिस और पैटर्न पहचान में भी मदद करता है, जिससे सॉफ़्टवेयर में यूजर्स के व्यवहार को समझने और उसके अनुसार सुधार करने में सहायता मिलती है । मार्किट में बहुत सारे एआई टूल्स हैं जिनका उपयोग आप अलग अलग कामों के लिए कर सकते हैं ।

सॉफ़्टवेयर बनाकर पैसे कमाने के कई तरीके हैं । लेकिन हमें सभी को अच्छे से समझना होगा और सही से इंप्लीमेंट करना होगा अन्यथा हम नाकामयाब भी हो सकते हैं ।

सॉफ़्टवेयर बेचकर पैसे कमाना, सॉफ्टवेयर से पैसे कमाने का यह मुख्य तरीका है इसमें तीन प्रकार से पैसे कमा सकते हैं ।

पहला : आप अपने सॉफ़्टवेयर का उपयोग करने के लिए यूजर्स को लाइसेंस बेच सकते हैं । यह एक बार का भुगतान होता है या सब्सक्रिप्शन आधारित मॉडल होता है ।

दूसरा : सॉफ़्टवेयर का एक बेसिक वर्जन मुफ्त में उपलब्ध कराएं और प्रीमियम फीचर्स के लिए शुल्क लें, इस बिज़नेस मॉडल को फ्रीमियम कहते हैं इसमें आप फ्री में भी सर्विस प्रदान करते हैं और पैसे में भी ।

तीसरा : सॉफ़्टवेयर को एक सेवा (Software as a Service) के रूप में बेचें, जहां यूज़र मासिक या वार्षिक सब्सक्रिप्शन के माध्यम से इसे उपयोग कर सकते हैं ।
यदि आपका सॉफ़्टवेयर मोबाइल ऐप या गेम है, तो आप इन-ऐप खरीदारी के माध्यम से पैसे कमा सकते हैं । इसमें यूजर ऐप के भीतर वर्चुअल क्लॉथ, लेवल्स तथा सेवाएं खरीद सकते हैं ।
अपने सॉफ्टवेयर में आप एड दिखाकर पैसे कमा सकते हैं । इसमें बैनर विज्ञापन, वीडियो विज्ञापन, या प्रायोजित कॉन्टेंट शामिल होता है ।
आप कंपनियों या व्यक्तियों के लिए कस्टम सॉफ़्टवेयर भी डेवलप कर सकते हैं और इसके लिए उनसे पैसे ले सकते हैं । इसमें विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप सॉफ़्टवेयर बनाना शामिल है, अर्थात् जैसे किसी डॉक्टर को अपने क्लिनिक या हॉस्पिटल के लिए एक विषेश सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन बनवानी है ।
अपने सॉफ़्टवेयर को विभिन्न मार्केटप्लेस जैसे कि Google Play Store, Apple App Store, या अन्य सॉफ़्टवेयर बिक्री प्लेटफॉर्म पर लिस्ट करें ।

ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर बनाकर इसे मुफ्त में उपलब्ध कराएं और अतिरिक्त सेवाओं या कस्टम फीचर्स के लिए पैसे चार्ज करें।
आप सॉफ़्टवेयर कंसल्टिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं, जिसमें कंपनियों को उनके सॉफ़्टवेयर से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद की जाती है । इसके अलावा, सॉफ़्टवेयर ट्रेनिंग इवेंट्स भी आयोजित कर सकते हैं।
एपीआई या प्लगइन्स डेवलप कर सकते हैं जिन्हें अन्य डेवलपर्स अपने सॉफ़्टवेयर में उपयोग कर सकें । इसके लिए लाइसेंसिंग या सब्सक्रिप्शन मॉडल का उपयोग करके पैसे कमा सकते हैं ।
सबसे आख़िरी और बेहतर तरीका इसमें आप लोगों को क्लाउड सॉफ़्टवेयर से संबंधित प्रॉब्लम का समाधान प्रदान कर सकते हैं, यह आमतौर पर SaaS मॉडल के तहत आता है, जहां यूज़र आपके क्लाउड सॉफ़्टवेयर के लिए पेमेंट करते हैं ।

सॉफ़्टवेयर बनाने और बेचने की प्रक्रिया में कई प्रकार की कठिनाइयाँ आपके सामने होंगी, प्रत्येक काम में कठिनाईयां होती है, लेकिन जो इन कठिनाइयों को पार करता है वह सफ़लता की सीढ़ी चढ़ता है ।

Challenges
जटिल सॉफ़्टवेयर सिस्टम डेवलप करना मुश्किल हो सकता है यदि आप एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं है, विशेषकर जब कई फीचर्स और एकीकरण की आवश्यकता हो । विभिन्न प्लेटफार्मों और डिवाइसों के साथ फ्रेंडली सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है ।
सॉफ़्टवेयर डेवलप के दौरान बग और त्रुटियाँ सामान्य हैं । इन्हें पहचानने और ठीक करने में समय और संसाधन खर्च होते हैं । यदि बेसिक एरर्स हैं तो एआई का इस्तेमाल करें अन्यथा सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही ठीक करेगा ।
सॉफ़्टवेयर में सुरक्षा खामियों को दूर करना और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है ।
सॉफ़्टवेयर को यूजर के लिए सहज और उपयोग में आसान बनाना चुनौतीपूर्ण होता है ।
सॉफ़्टवेयर इंडस्ट्री में अत्यधिक कंपटीशन है, जिससे बाजार में अपनी जगह बनाना मुश्किल हो जाता है ।
सॉफ़्टवेयर बनाने में शुरू में अधिक खर्च होता है और लगातार वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है, इसलिए अपने बजट को बढ़ाएं ।
सॉफ़्टवेयर के लिए प्रभावी मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाना और डिस्ट्रीब्यूशन चैनलों का चयन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है ।
ग्राहकों को टेक्निकल सहायता और सर्विस प्रदान करना समय और संसाधनों की मांग करता है ।

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सॉफ्टवेयर बनाना और बेचना, इस पूरी प्रक्रिया को आपने अच्छे से समझ लिया होगा चलिए अब आपकों इस पूरे बिज़नेस के फ़ायदे बताते हैं ।

  1. सॉफ़्टवेयर को यूजर्स तक पहुंचाना आसान होता है, जिससे बिज़नेस तेजी से बढ़ता है ।
  2. SaaS मॉडल और सब्सक्रिप्शन आधारित सेवाओं से नियमित और स्थिर रेवेन्यू प्राप्त होता है अर्थात् एक बार काम करो पूरी जिंदगी कमाओ ।
  3. सॉफ़्टवेयर उत्पादों में उत्पादन की सीमांत लागत बहुत कम होती है, जिससे उच्च लाभ मार्जिन प्राप्त होता है ।
  4. इंटरनेट के माध्यम से सॉफ़्टवेयर को पूरी दुनियां में वितरित किया जा सकता है, जिससे एक व्यापक बाजार तक पहुंचा जा सकता है ।
  5. सॉफ़्टवेयर में आसानी से नए फीचर्स और अपडेट जोड़े जा सकते हैं, जिससे प्रॉडक्ट को लगातार बेहतर बनाया जा सकता है ।
  6. ग्राहकों के साथ लगातार संपर्क और समर्थन से दीर्घकालिक (लंबे समय तक) संबंध बनाए जा सकते हैं ।
  7. सॉफ्टवेयर एक डिजिटल प्रॉडक्ट है, इसलिए इसमें फिजिकल भंडारण या डिस्ट्रीब्यूशन की आवश्यकता नहीं होती है ।
  8. सॉफ़्टवेयर एक मूल्यवान बौद्धिक (इंटिलेक्चुअल) प्रॉपर्टी होती है, जिसे लाइसेंस देकर या बेचकर अतिरिक्त रेवेन्यू अर्जित किया जा सकता है, अर्थात् आप अपने पूरे इको सिस्टम (सॉफ्टवेयर) को किसी को भी बेचकर बहुत ज्यादा पैसे कमा सकते हैं ।

सॉफ़्टवेयर बनाने और बेचने में कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन इसके साथ साथ इसके अनेक फायदे हैं । सही प्लान, स्ट्रेटजी और संसाधनों के साथ, सॉफ़्टवेयर बिज़नेस को सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकता है और इससे पैसिव इनकम प्राप्त की जा सकती है ।

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