हर व्यक्ति एक उज्जवल भविष्य की उम्मीद रखता है और इस लक्ष्य को पाने के लिए अपने तन, मन से मेहनत करता है, एक स्वतंत्र पक्षी के जैसे अपने जीवन को आनंद के व्यतीत करता है ।
क्या आप नहीं चाहते हैं वो स्वतंत्र जीवन, जिसके आपने सपनें देखें हैं, जहां आप काम ना करते हुए भी पैसा कमा सकें और दुनियां के अद्भूत नज़ारों को अपनी आंखों से देख सके ।
यहां आप जानेंगे एक अद्भुत पैसिव इनकम आइडिया, जिससे आपको अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी और अतिरिक्त आय अर्जित करके अपने भविष्य को उज्जवल बना सकेंगे, चलिए जानते हैं आसान शब्दों में …
Passive income idea
आज का अद्भुत पैसिव इनकम आइडिया है – फार्मलैंड लीजिंग (कृषि भूमि पट्टे पर देना), यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम कोई व्यक्ति अपनी ज़मीन को पट्टे (लीज) पर एक निश्चित अवधि के लिए देकर निष्क्रिय आय उत्पन्न कर सकता है ।
भारत में यह प्रथा कई सालों से चलती आ रही है, इसके संबंध में सरकार द्वारा कानून व नियम भी लागू किए गए हैं ताकि इसे सरल और सहज बनाया जा सके ।
भारत ऐसे भी किसान हैं जिनके पास खुद की कृषि भूमि नहीं है और वह दूसरे लोगों की ज़मीन पट्टे पर लेकर कृषि करते हैं, प्रतिवर्ष पट्टादाता को एक निश्चित रकम चुकाते हैं । आइए समझते हैं कैसे आप अपनी कृषि भूमि को पट्टे पर देकर निष्क्रिय आय अर्जित कर सकते हैं?
फार्मलैंड लीजिंग क्या है और कैसे काम करता है?
कृषि भूमि पट्टा (farmland leasing) एक प्रक्रिया है जिसमें दो व्यक्ति शामिल होते हैं, एक पट्टादाता (लैंडलॉर्ड), जिसके पास अपनी कृषि भूमि है और दूसरा पट्टेदार (लीज़ी), जो किसी उद्देश्य के लिए भूमि किराए पर लेना चाहता है ।
इस प्रक्रिया में पट्टादाता अपनी कृषि भूमि को एक निश्चित समय के लिए किसी पट्टेदार को उपयोग करने के लिए देता है जो खेती या अन्य कृषि गतिविधियों के लिए भूमि का उपयोग करता है और इसके लिए वह पट्टादाता को किराया देता है।
जिसमें उपयोग के अधिकार से संबंधित कुछ नियम एवं शर्तें शामिल होती हैं जिनका पट्टाडाता और पट्टेदार दोनों को पालन करना होता है, पट्टादाता और पट्टेदार के बीच यह समझौता पट्टा या लीज कहलाता है ।
अब जानते हैं “ज़मीन पट्टे (लीज) पर कैसे दी जाती है?” –
1 चरण – एक व्यक्ति जिसके पास कुछ अतिरिक्त भूमि है जिसका वह फिलहाल उपयोग नहीं कर रहा, वह अपनी ज़मीन को पट्टे पर देने के लिए विचार करता है ताकि वह निष्क्रिय आय अर्जित कर सकें ।
2 चरण – एक अन्य व्यक्ति जिसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए ज़मीन की आवश्यकता है, वह पट्टादाता से सम्पर्क करता है ताकि बिना अधिक निवेश के ज़मीन ले सके और अपने उद्देश्य में निवेश कर सकें ।
3 चरण – अब दोनों अपनी शर्तें एक दुसरे के साथ साझा करते हैं, यदि दोनों इसके लिए मंजूर हो जाते हैं तो यह प्रकिया शुरु की जाती है ।
4 चरण – सभी आवश्यक प्रॉपर्टी दस्तावेजों, गवाह, कानून, नियम एवं शर्तें को मद्देनजर रखते हुए किसी पेशेवर वकील के माध्यम से “लीज एग्रीमेंट” तैयार किया जाता है ।
उदाहरण – आपके पास 5 एकड़ ज़मीन है जिस पर आप खुद खेती नहीं करना चाहते और अपनी ज़मीन को किसी किसान को 5 साल के लिए लीज (पट्टे) पर देते हैं । किसान इस ज़मीन पर खेती करता है और प्रतिवर्ष आपको एक निश्चित किराया देता है ।
इस तरह आप बिना मेहनत के अतिरिक्त आय अर्जित करते है और किसान (पट्टेदार) बिना ज़मीन खरीदें एक निश्चित अवधि के लिए ज़मीन के उपयोग करने का अधिकार प्राप्त करता है और उससे लाभ उठाता है । आइए समझते हैं विस्तार से कैसे आप अपनी ज़मीन को पट्टे पर देकर पैसिव इनकम अर्जित कर सकते हैं –
फार्मलैंड लीजिंग कैसे शुरू करें?
अपनी कृषि भूमि लीज पर देने से पहले आपको इससे संबंधित आवश्यक पैरामीटर्स को समझना बहुत आवश्यक है अन्यथा आप लीज के चक्कर में कोई आपकी ज़मीन हड़प सकता है, चलिए जानते हैं स्टेप बाय स्टेप –
Step 1
सबसे पहले आपको यह देखना आपकी ज़मीन कैसी हैं? क्या वह पूर्ण रूप से उपजाऊ है? या कुछ बंजर होती जा रही है? इसके लिए आप भूमि की जांच करा सकते हैं और अपना लक्ष्य बनाएं – कितने साल के लिए ज़मीन लीज पर देना चाहते हैं या कितने समय बाद आप इसका उपयोग करना चाहेंगे, ज़मीन की कीमत और किराए का भी अध्ययन अवश्य करें ।
अगर आपकी ज़मीन अच्छी उपजाऊ है इसे आप किसी ऐसे किसान को ही पट्टे पर दें जो कृषि द्वारा अधिक उत्पादन से अच्छा लाभ उठा सके और आप भी नियमित आय अर्जित कर सकें ।
यदि आपकी ज़मीन कृषि के लिए अच्छी नहीं है तो इसे आप किसी अन्य प्रॉपर्टी डीलर, कमर्शियल उपयोग के लिए लीज पर दे सकते हैं, जैसे Company, Bank, Showroom, Hotel, Call Center, Shop, Warehouse, Mall आदि ।
Step 2
किसान या किराएदार तलाश करना – अपनी ज़मीन की स्थिति और उपयोग के अनुसार आप स्थानीय किसानों, कृषि संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं या अन्य संभावित किराएदारों की तलाश कर सकते हैं ।
अपने परिचितों से भी इसके बारे में पूछ सकते हैं या स्थानीय अखबार में विज्ञापन दे सकते हैं और इसके अलावा आप ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और सोशल मीडिया भी मदद ले सकते हैं जहां संभावित पट्टेदार आपसे संपर्क कर सकते हैं ।
इसमें समय लग सकता है लेकिन इसमें आपको जल्दबाजी नहीं करनी, धैर्य से काम लें । जब आपको कोई पट्टेदार मिले उसके सामने अपनी शर्तें रखें ।
Step 3
लीज एग्रीमेंट तैयार करना – यदि आपको कोई अच्छा पट्टेदार मिल जाता है इसके पश्चात् आप किसी वकील या कानूनी सलाहकार की मदद से लीज एग्रीमेंट तैयार करा सकते हैं, जिसमें आपके और उस व्यक्ति के जो पट्टे पर ज़मीन ले रहा है दोनों पक्षों की शर्तें (कंडीशन) लिखी हों ।
जैसे – भूमि का उपयोग कैसे किया जाएगा, आपकी ज़मीन पर पट्टेदार के क्या अधिकार हैं, किराया कितना होगा या कितने समय में किराए में कितनी बढ़ोतरी होगी, लॉकिंग पीरियड और अन्य नियम ।
अब दोनों पक्ष अपनी सहमति से एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके, इस लीज एग्रीमेंट को स्थानीय रजिस्ट्रेशन कार्यालय में रजिस्टर्ड कराएं ताकि यह लीज़ की प्रक्रिया कानूनी तौर पर मान्य होने के साथ भविष्य में किसी तरह के विवाद का कारण न बने, इसलिए लिखित रुप में आपके पास सभी प्रमाण होने चाहिए ।
✍️ Note
भारत में कृषि भूमि पट्टा को लेकर राज्यों में अलग-अलग कानून और नियम हो सकते हैं, इसलिए आपको अपने स्थानीय नियमों का पालन करना होगा इसके लिए आप किसी कृषि विशेषज्ञ या वकील की सहायता ले सकते हैं ।
Step 4
दस्तावेज़ – लीज एग्रीमेंट तैयार कराने के लिए आपको कुछ आवश्यक दस्तावेज़ की जरुरत होगी जैसे – प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट, रजिस्ट्री बैनामा, सेल डीड, खतौनी, नगर पालिका या नगर निगम की रसीद, पहचान प्रमाण के लिए आधार कार्ड पहचान पत्र, पासपोर्ट अन्य सरकारी दस्तावेज़, दो गवाह (उनका आधार कार्ड, पहचान पत्र), पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो, जमीन का नक्शा आदि ।
अगर जमीन किसी फर्म या कंपनी के लिए किराए पर ली जा रही है तो उसकी रजिस्ट्री कॉपी चाहिए होगी और अधिकृत प्रतिनिधि का प्रमाण पत्र, यदि मुख्तारआम यानी पावर ऑफ अटॉर्नी के द्वारा ली जा रही है या दी जा रही है तो प्रमाणित प्रति दस्तावेज की आवश्यकता होगी ।
Last Step
लीज़ी (किराएदार) के साथ आपको नियमित संपर्क बनाए रखने की आवश्यकता होगी कि वह ज़मीन का एग्रीमेंट के अनुसार सही उपयोग कर रहा है या नहीं, बैंक ट्रांसफर, चेक, या कैश के माध्यम से किराएदार से भुगतान प्राप्त कर सकते हैं । किराए में कोई देरी या अन्य समस्या आने पर आप लीज़ एग्रीमेंट के अनुसार कार्रवाई भी कर सकते हैं ।
इस तरह आप उपरोक्त जानकारी का लाभ लेकर अपनी ज़मीन को लीज पर देकर पैसिव इनकम अर्जित कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं ।
Dark Truth of Leas (लीज में आने वाली चुनौतियां)
#1. सही किराएदार (लीज़ी) को तलाश करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है जो ज़मीन का सही तरीके से उपयोग करें और समय पर किराया दे ।
#2. यदि आप लीज एग्रीमेंट ठीक से तैयार नहीं कराते, इससे भविष्य में कई कानूनी विवाद पैदा होने की संभावना हो सकती है ।
#3. अगर किसी कारणवश किसान की फसल खराब हो जाती है, जैसे बाढ़, सूखा, या कीटों का हमला और किराएदार को आर्थिक नुकसान होती है तो आपके किराए का भुगतान समय पर नहीं हो पाएगा, इसके लिए आप उसे कृषि बीमा लेने की सलाह दे सकते हैं और फसल के उत्पादन के आधार पर किराया तय कर सकते हैं ।
#4. यदि किराएदार ज़मीन की देखभाल ठीक से नहीं करता, इससे भूमि की उर्वरता और गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है ।
#5. कुछ किराएदार एग्रीमेंट की अवधि पूरी होने से पहले ही ज़मीन छोड़ने की मांग करते हैं या समय से पहले ज़मीन छोड़ना चाहते हैं जिससे आपकी आय प्रभावित हो सकती है । इसलिए लीज़ एग्रीमेंट में लॉक-इन पीरियड की शर्त जोड़ना आवश्यक है ताकि वह बीच में एग्रीमेंट न तोड़ सके ।
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महत्त्वपूर्ण शब्द
यदि आप अपनी ज़मीन रेंट पर देने के बजाय लीज पर देते हैं तो सरल तरीके से लम्बे के लिए नियमित पैसिव इनकम उत्पन्न कर सकते हैं बशर्ते के आप उपरोक्त चुनौतियों के प्रति सतर्क होकर एक सही एग्रीमेंट तैयार करते हैं ।